नई दिल्ली : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच के आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री सुशील कुमार सरावगी जी को उत्तर प्रदेश के युवा प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रमेश कुमार उपाध्याय जी ने नव वर्ष के उपरांत श्रीमद् भागवत गीता एवं पुष्प भेंट कर के नव वर्ष की बधाई प्रेषित किया और साथ ही उत्तर प्रदेश के अन्दर हो रहे बहुत सारी समस्याओं को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा किया और साथी ही उत्तर प्रदेश के युवा प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रमेश उपाध्याय यह जनता से भी यह अपील किया की इस नव वर्ष 2025 के उपरांत केवल कैलेंडर बदलने से काम नहीं चलेगा हम सब की सोच भी बदलनी चाहिए सभी लोगों को मिलकर सनातन और संस्कृति की ओर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि जब हम आगे नहीं बढ़ेंगे जब हम अपनी माता-पिता का सम्मान नहीं करेंगे तो हम किसी और से अपेक्षा नहीं रख सकते कि वह हमारे माता पिता का सम्मान करें तो ए हमारी ए उदासीनता हमारी यह निष्क्रियता या कह लीजिए कापूरुस्ता इसने हमारा पतन कर दिया इसने आज हमें यहां पर लाकर खड़ा कर दिया जहां हम आज खड़े हैं अंग्रेजों के आने के पूर्व भारत एक भूभाग आवश्य था लेकिन भारतीयता की भावना किसी में नहीं थी 565 अलग-अलग रियासतें उन रियासतों की एक अलग-अलग सीन उनके अलग संविधान अलग मुद्राएं उनके अलग अपने झंडे बगल के राजा पर कोई विदेशी हमला कर रहा है तो उनके बगल के राजा प्रसन्न हो रहे हैं कि उनके साथ तो यही होना चाहिए खंड-खंड करके इसी तरह हमारा देश गुलाम होता है अब दुनिया के नक्शे पर देखेंगे पुर्तगाल कितना छोटा सा देश है और नीदरलैंड कितना छोटा सा देश है यूरोप के दूसरे कोने के देश वहां से चले आए चार जहाज में पांच पानी के जहाज में छोटे और छोटे भूभाग पर कब्जा कर लिया किसी ने कोई विरोध नहीं किया और जब तक लूटना था तब तक लूटे और जिस तरह लूटना था उसे उस तरह लूटे और कोई प्रतिरोधी नहीं हुआ यह ऐसे अध्याय हैं यह ऐसे प्रसंग है जिसे सुनकर हमारा सर शर्म से झुक जाता है क्योंकि हमको तात्कालिक लाभ चाहिए इससे हमको क्या फायदा होगा यह सही बात है कि भारत में अगर गिनती की जाए तो अच्छी अंग्रेजी बोलने वाले ज्यादा लोग हैं लेकिन लिस्ट परिमार्जित और परिश्रित हिंदी बोलने वाले बहुत ही काम हो गए हैं क्योंकि हमने अपने मातृभाषा को सम्मान देना छोड़ दिया है और संत महंत महात्मा और राजा महाराजा यह सब लोग जाकर के कल्पवास करते हैं उसे समय की जो उनकी समस्याएं थी वह धर्म संसद में उसकी चर्चा होती है अपने-अपने राज्यों के कुशल क्षेम के लिए संतों की देशना उनका अनुशासन और उनका दिशा निर्देश प्राप्त करते हैं फिर जाकर के अपने-अपने राज्यों में लागू करते हैं स्नान करना तिलक लगाना पूजा पाठ करना यह भौतिक क्रियाकलाप हो गई लेकिन आध्यात्मिक समृद्धि इस कुंभ से यही मिला करती थी कि हमारा राष्ट्र कैसे समृद्ध हो देशवासी कैसे सुखी हो राज्यवासी कैसे सुख हो इस बिपाशा इस भूख की पूर्ति कुंभ वर्षों से करता चला आ रहा है और सही अर्थों में यही एक मार्ग है कि हमारे पूर्वज जिन्होंने राष्ट्र के लिए देशवासियों के लिए सभ्यता और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया ओ भी निस्वार्थ भाव से उनसे जाकर के हम भी प्रेरणा लें और दिन में एक बार नहीं अनेको बार अपने बड़े बुजुर्गों का अपने माता और पिता का संत महंत और महात्मा जो कुछ भी पश्चिमी है वही सही है इसलिए एक बार नहीं अनेकों बार उनका आत्म चिंतन अवश्य करें

और इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश के युवा प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रमेश उपाध्याय ने समस्त सम्मानित जनता को 2025 नववर्ष एवं मकर संक्रांति की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित किया
