.आजकल सोशल मीडिया में ये तुलना बहुत अधिक देखने को मिल रही है….देखो देखो… चीन कहाँ पहुँच गया… और आज हम कहाँ हैं…हम विश्वगुरु बनने के गाल बजाते रह गए और चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया….मेरा पूछना है कि ये तुलना क्यों??क्या किन्हीं भी दो देशों की तुलना तर्क संगत है जबकि दोनों की संस्कृति, सामाजिक ताने बाने, राजनैतिक हालात भौगोलिक परिस्थिति एवं प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता में आकाश पाताल का अंतर है…ये कुछ उदाहरणों से समझाता हूँ….UAE से सस्ता तेल भारत में क्यों नहीं है??भारत से सस्ता गेहूँ अमेरिका के पास क्यों नहीं है??चाइना से सस्ता स्टील कोई और क्यों नहीं बेच पाता??ब्राज़ील से अच्छी कॉफी ऑस्ट्रेलिया में क्यों नहीं होती??आदि आदि आदि….तुलनाओं का कोई अंत नहीं है…*क्या नौर्वे, डेनमार्क, पोलैंड, न्यूजीलैंड विकसित देश नहीं हैं?क्या ये सँसार के सबसे धनवान देशों के टॉप 10 में सदैव नहीं रहते ??कौन से स्पेस मिशन इन्होंने कर लिए??IT में ये कहाँ हैं??कितने परमाणु बम इन्होंने बना लिए *या कितनी लम्बी दूरी की मिसाइलें बना ली हैं??उत्तर मिलेगा… Nill*..

तो क्या ये निर्धन और पिछड़े देशों में गिने जाएंगे ??नहीं ना??* तुलना क्यों?? क्या

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