नई दिल्ली 15 जनवरी बुधवार 2025 आज प्रातः काल बैठक में बाबूजी सुशील कुमार सरावगी जिंदल राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अच्छा बनना चाहता है, और अच्छा भाग्य प्राप्त करके सुखी होना चाहता है। “इसके लिए उसे कुछ अच्छे कर्म भी करने पड़ेंगे।”
क्योंकि ईश्वर न्यायकारी है। वह अच्छे कर्म करने पर ही अच्छा फल देता है। बुरे कर्म करने पर बुरा फल देता है। “तो जो लोग सुखी होना चाहते हैं, उनका भाग्य अच्छा होना चाहिए। ‘भाग्य’ पूर्व कृत कर्मों का ही नाम है, अर्थात यदि पहले उन्होंने अच्छे कर्म कर रखे हैं, तो आज उनका भाग्य अच्छा होगा, और उन्हें सुख फल मिलेगा।” इसी प्रकार से “यदि लोग आज अच्छे कर्म करेंगे, तो इससे उनका भविष्य का भाग्य अच्छा बनेगा, और उन्हें भविष्य में सुख मिलेगा।” “इसलिए आज अपने कर्मों को अच्छा बनाएं, जिससे कि आपका आगे का भविष्य अच्छा बने।”
अब अच्छे कर्म कैसे करें? इसका उत्तर है, कि “व्यक्ति जो कर्म करता है, वह एक – तो अपने पूर्व संस्कारों से प्रेरित होकर करता है। तथा दूसरा- माता-पिता गुरुजनों मित्रों आदि के प्रशिक्षण से प्रेरित होकर करता है।”
प्रत्येक व्यक्ति में पूर्व जन्मों के कुछ अच्छे संस्कार भी होते हैं, और कुछ बुरे भी। अपने पिछले संस्कारों को जागने में इस जन्म में व्यक्ति स्वतंत्र है। “यदि वह अपने पिछले अच्छे संस्कारों को जगाएगा, तो इस जन्म में वह अच्छे काम करेगा, जिससे कि उसका भविष्य अच्छा अर्थात सुखमय बनेगा। यदि वह अपने पुराने बुरे संस्कारों को जगाएगा, तो उनसे प्रेरित होकर वह बुरे कर्म करेगा, जिससे कि उसका भविष्य बिगड़ जाएगा।”
इसी प्रकार से वर्तमान जीवन में “यदि वह अच्छे लोगों की संगति करेगा, तो उनसे प्रेरित होकर वह नए अच्छे कर्म करेगा, इससे उसका भविष्य अच्छा बनेगा।” “यदि बुरे लोगों की संगति करेगा, तो उनसे प्रेरित होकर वह आज बुरे कर्म करेगा, इससे उसका भविष्य बिगड़ जाएगा।”
सारी बात कहने का सार यह हुआ, कि “अपने पिछले अच्छे संस्कारों को जगाएं, और वर्तमान में अच्छे लोगों की संगति में रहें, जिससे कि आपके नए कर्म अच्छे बनें, और आपका भविष्य सुखमय हो।”
प्रत्येक व्यक्ति अच्छा बनना चाहता है, और अच्छा भाग्य प्राप्त करके सुखी होना चाहता है। “इसके लिए उसे कुछ अच्छे कर्म भी करने पड़ेंगे।” : बाबूजी सुशील कुमार सरावगी जिंदल
